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लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने विल्सन परिवार पर सौ साल पुराने लोकगीत को दी आवाज

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देहरादून: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने हर्षिल के राजा के नाम से मशहूर ब्रिटिश व्यापारी फ्रेडरिक विल्सन के बेटों और दो गढ़वाली लड़कियों की प्रेम कहानी पर एक पुराना लोकगीत गाया है। अनुमान है कि यह गीत सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। इससे संगीत प्रेमियों और इतिहासकारों को उत्तरकाशी के धराली गांव के नाथू विल्सन और हेनरी विल्सन की रूदा-गुदौरि (गोदावरी) से प्रेम कहानी को दर्शाने वाला लोकगीत सुनने का मौका मिलेगा।

ब्रिटिश शिकारी और सेना से भागे फ्रेडरिक विल्सन 1840 में हर्षिल (उत्तरकाशी) आकर बस गए और दो स्थानीय लड़कियों से शादी कर ली। उनके तीन बेटे थे- हेनरी, नाथू और चार्ल्स विल्सन। फ्रेडरिक विल्सन और उनके तीन बेटों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। विल्सन को प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड की कई लघु कथाओं में जगह मिली है। बॉन्ड की कहानी तो विल्सन के भूत पर भी है।

धारली और हरसिल के चरवाहे कभी-कभार लोकगीत सुनाया करते थे। ‘नाथू विल्सन और रूड़ा-गोदवारी’ शीर्षक वाला यह गीत नेगी को अपने एक मित्र राजू से मिला और उन्होंने इसे गाने का फैसला किया। हरसिल के माधवेंद्र रावत और बालम दास ने इसके पूरे बोल लिखने में मदद की। नरेंद्र नेगी कहते हैं, “जब मैं 1992 में उत्तरकाशी में तैनात था, तो मुझे हरसिल में फ्रेडरिक विल्सन के बंगले पर जाने का मौका मिला। पारंपरिक लकड़ी की नक्काशी वाला यह बंगला अद्भुत था। लेकिन, उस समय किसी ने मुझे नहीं बताया कि विल्सन के परिवार के सदस्यों पर कोई लोकगीत भी है। हाल ही में मुझे एक मित्र के माध्यम से यह गीत मिला और मैंने इसे सार्वजनिक करने का फैसला किया। लोकगीतों को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए, अन्यथा वे हमेशा के लिए लुप्त हो जाएंगे।” फ्रेडरिक विल्सन गढ़वाल के प्रसिद्ध वन ठेकेदार थे। हरसिल से स्लीपर काटकर और तैराकर विल्सन दुनिया के इस हिस्से के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गए। विल्सन के जीवनकाल में ही हेनरी, नाथू और चार्ल्स विल्सन तीनों का विवाह हुआ। 1883 में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें मसूरी के कैमल्स बैक रोड कब्रिस्तान में दफनाया गया। उनके तीन बेटे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में असफल रहे। हालांकि विल्सन और उनके परिवार के पास हरसिल, मसूरी, हरिद्वार और देहरादून में बड़ी संपत्तियां थीं, लेकिन समय के साथ फ्रेडरिक विल्सन की यादें धुंधली हो गई हैं। यह लोकगीत विल्सन की पुरानी यादों को ताजा करता है।

गीत का बोल….

ताड़ी बुनी तांद 2 नाथू कौरा सैबा
तैरी धराली सुनी रौंदी रूदा गोदारी बांदा
पाकी जाली कोणी 2नाथू कौरा….
हरशिला न चली बुसेरी घोड़ी अस्वारी नाथू कौरा……
खुटू का खड़।वा 2 नाथू कौरा…
धराली पहुचिके ताड़ी पड़ी पड।वा नाथू कौरा …
लाठू काटी लं।बू 2 नाथू कौरा…
तड़ी तपड़ फुडू काना सजीगे तंबू नाथू कौरा..
पूज्यता पितरा 2 नाथू कौरा…
कनु जांदू नाथू शुय बुटु भीतर नाथू कौरा …
तड़ी बुण बल तांदा 2 नाथू कौरा…
लयाई छोड़ी तुमना रूदा गोदोरी बांदा नाथू कौरा …
बंदूकों कू गाज 2 नाथू कौरा..
रूदा गुदोरी लियाणी बंगला कू साज नाथू कौरा….

 

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