इन्द्रियों के अधिष्ठातरी देव का नाम है शिव आचार्य ममगांई

इन्द्रियों के अधिष्ठातरी देव का नाम है शिव आचार्य ममगांई

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लोग शिव उपासना करते हैं वे हर दुःख परेशानी से मुक्ति पाते हैं. श का अर्थ होता है कल्याण, कर का अर्थ होता है करने वाला. शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याण . इन्द्रियों के अधिष्ठात्री देव है शिव . यह बात किशन पुर राजपुर अर्धनारेश्वर मन्दिर में ज्योतिष्पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य ममगांई जी ने कही. देवताओं की उत्पत्ति पालन और लय करने वाले भगवान शंकर, संसार के कल्याण के लिये हलाहल विष पीना, सिर पर चन्द्रमा जो शीतलता का प्रतीक है . शरीर पर राख रमना वैराग्य का प्रतीक और गले में सांप विषैले कशैले लोगों को कंठ लगाना नन्दीगण धर्म का प्रतीक है, जिसको भगवान शंकर अपने सम्मुख रखते हैं. जिसके सम्मुख धर्म है वो ही सबका कल्याण कर सकते हैं. आचार्य ममगाई कहते हैं जो व्यक्ति दूसरों की प्रसन्नता के लिये अपनी पराजय स्वीकार कर लेता हो उस पर संसार में नैतिक रूप से कोई कभी भी विजय नहीं प्राप्त कर सकता है . . इस भौतिक संसार में रिश्ते रिश्ते में भी अन्तर होता है, कहीं भावनाओं की आवश्यकता होती है और कहीं आवश्यकता के अनुरूप भावनायें होती है… आज विशेष रूप से स्थानीय लोगों ने किशनपुर गांव के प्राचीन शिव मन्दिर से वाद्य यंत्रों के साथ कलश यात्रा जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिलायें पीत वस्त्र धारण किये कैनाल रोड होते हुये अर्धनारेश्वर मन्दिर कथा स्थल पर भगवान शंकर का जलाभिषेक विद्वान ब्राह्मण के द्वारा किया गया, वहीं पूर्व पार्षद एवं महानगर महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला थापा, श्री भूपेन्द्र सिंह नेगी, चंपा मधवाल, अशोक धापा, कुसुम नेगी , नीतू रावत, निर्मला गुसाई, ममता गुसाई, गीता थापा, शिवचरण भण्डारी, अनीता धस्माणा, विरेन्द्र नेगी, पपेन्द्र, सुमन, राजेन्द्र बंगवाल, माला बंगवाल, राधव गोयल, बन्नी मधवाल, संजीव गुसाई, संजू, संजीता, सुनील नौटियाल, अनील चमोली, सुनील ममगाई, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य अजय जुयाल, आचार्य हितेष पत्त, आचार्य राकेश धस्माना आदि लोगों ने भारी संख्या में कहा का रसपान किया.

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