Big breaking:रूद्रप्रयाग के दो और शिक्षकों ने बीएड की डिग्री में किया खेल,अब हुई पांच साल की जेल

रूद्रप्रयाग के दो और शिक्षकों ने डीएड की डिग्री में किया खेल,अब हुई पांच साल की जेल

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बी०एड० की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने पर जनपद रूदप्रयाग के दो फर्जी शिक्षको को अलग अलग मामलों में 05-05 वर्ष का कठोर कारावास तथा 15000-15000 रूपये का अर्थदण्ड की सजा
जनपद रूदप्रयाग में तैनात फर्जी शिक्षकों (01) विजय सिंह झिक्वाण पुत्र बचन सिंह तथा (02) मलक राज पुत्र शौला लाल द्वारा अपनी बी०एड० की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की गई। शिक्षा विभाग के एस०आई०टी एवं विभागीय जाँच के अनुसार उक्त दोनों शिक्षकों की बी०एड की डिग्री का सत्यापन कराया गया जिस पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जॉच आख्या प्राप्त हुई जिसमे उक्त फर्जी शिक्षकों के द्वारा विश्वविद्यालय से कोई भी बी०एड० की डिग्री जारी नहीं हुई पायी गई। शासन स्तर से एस०आई०टी जाँच भी कराई गई थी। जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रूद्रप्रयाग द्वारा उपरोक्त शिक्षकों के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया गया। फर्जी शिक्षकों को तत्काल निलम्बित कर बर्खास्त किया गया तथा माननीय सी० जे०एम० न्यायालय जनपद रूद्रप्रयाग के समक्ष विचारण हुआ। आज दिनांक 28.11.2024 को विद्वान माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्री अशोक कुमार सैनी के न्यायालय द्वारा उपरोक्त फर्जी शिक्षकों विजय सिंह झिक्वाण तथा मलक राज को फर्जी बी०एड० की डिग्री के आधार पर छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी करार पाते हुए अभियुक्त विजय कुमार झिक्वाण तथा मलक राज को अलग अलग मामलो में धारा 420 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत 05 वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा 10000 (दस हजार रूपये) रूपये जुर्माने से दण्डित किया गया एवं जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। तथा धारा 471 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत दोषसिद्ध पाते हुए 02 वर्ष का कठोर कारावास व 5000 (पाँच हजार रूपये) रूपये जुर्माने से दण्डित किया गया एवं जुर्माना अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतना होगा। दोषसिद्ध शिक्षकों विजय सिंह झिक्वाण तथा मलक राज को न्यायिक अभिरक्षा मे लेकर दण्डादेश भुगतने हेतु जिला कारागार पुरसाड़ी, (चमोली) भेजा गया।

उक्त मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी विद्वान अभियोजन अधिकारी श्री प्रमोद चन्द्र आर्य एवं श्री विनीत उपाध्याय द्वारा की गई है।

दोनों निर्णयो एवं आदेशो की प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु सचिव शिक्षा, सचिव गृह उत्तराखण्ड देहरादून को भी प्रेषित की गयी है। क्योकि शिक्षा विभाग द्वारा बिना सत्यापन के फर्जी शिक्षकों को सेवा में नियुक्ति के अलावा स्थागीकरण भी दिया तथा प्रोन्नति भी बिना जांच पड़ताल के प्रदान की गयी। जिससे शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है।

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