विशाल भण्डारे के साथ भागवत कथा का समापन
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रैबार पहाड़ का:तो नित्य सिद्ध हैं वे हमारे अंदर हैं किंतु जब तक हम अपने को शारीरिक मानसिक तथा अन्य दृष्टि से शुद्ध नही करेंगे वे हमें दर्शन नही देंगे शुद्ध व्यक्ति शुद्ध से ही मिलना चाहता है हम जैसे शारीरिक व्यसनों से पतित बने व्यक्तियोँ को भगवान दर्शन क्यों देँ उक्त विचार यूनिवर्सिटी रोड देहरादून में आज समापन दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाई जी ने प्रेमा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विराम दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि
पुण्य कर्म कर देने वाला ही धर्मात्मा है मठ मंदिरों को अपनी सम्पति मानकर जो उसकी किसी भी वस्तु का उपभोग करता है वह घोर पाप करता है इसी प्रकार साधु संतों को किसी के अधीन नही रहना चाहिए आज तो बहुत से साधु भी धर्म के नियंत्रण में न रहकर सरकार की कृपा प्राप्त करने के लिए भाग दौड़ करते हैं वे सरकार की धर्म विरोधी बातों का अंध समर्थन करते हैं उन्होंने कहा कि उपवास एकादशी व्रत अन्नमय कोष को परम शुद्ध परम् शुध्द करने का प्रमुख साधन है ईश के ध्यान से मन कोष सिद्ध होता है शरणागति से आनंदमय कोष सिद्ध होता है अतः भक्ति के लिए सबसे पहले अपने शरीर और मन को पवित्र शुरू करना चाहिए तभी भक्ति की ओर प्रवल होने में सार्थकता जीवन की सार्थकता है ।।
आज आयोजक मंडल की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया ।।
इसअवसर पर विशेष रूप से
अंशुमान नौटियाल डाक्टर जयन्ती नवानी डाक्टर प्रकाश ममगांई ईशान नौटियाल, हार्दिक रतूड़ी, अपूर्व रतूड़ी, पार्थ ढौंडियाल, सर्वज्ञ ढौंडियाल, ऐश्वर्या कोठारी, अजितेश कोठारी, आदित्य भट्ट, अवनि भट्ट, अनाहित मैठाणी, अभिरथ मैठाणी, अनुश्री उनियाल, अनिका उनियाल: यजमान: प्रेमा सेमवाल कृष्ण चंद्र नौटियाल सीमा नौटियाल) मुकेश रतूड़ी पूनम रतूड़ी) धनन्जय ढौंडियाल नीलम) श्री प्रमोद कोठारी अजिता) आशीष भट्ट तृप्ति प्रदीप मैथानी रुचि विकास उनियाल गिरिजा उनियाल आयुष बडोनीआदि उपस्थित थे