घनसाली 7 सितंबर डॉ. बेलीराम कनस्वाल द्वारा उत्तराखंड के होटल व्यवसाय से जुड़े होटलियर भाइयों पर रचित गढ़वाली कविता “होटलियार मशहूर होयां छन” आजकल खूब चर्चाओं में है।
उत्तराखंड के विभिन्न भागों से युवा विदेशों में जाकर होटल में अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं, युवाओं के इसी हुनर को बेलीराम ने अपनी कविता के माध्यम से उजागर किया। जिसको आम जनमानस खूब पसंद कर रहा है। कविता में होटलियरों के संघर्ष,खैरि- विपदा एवं जन्मभूमि के प्रति अगाध प्रेम का भी खूब चित्रण किया गया है। अपनी कविता में बेलीराम ने कहा कि, होटलियार भाइयों ने उत्तराखंड की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करने का बीड़ा उठाया है। उत्तराखंड के होटल व्यवसाय से जुड़े युवाओं पर अब तक की यह पहली कविता खूब सुर्खियां बटोर रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल इस कविता को सुनकर देश-विदेश में रहने वाले होटलियार भाइयों के अलावा डॉक्टर बेलीराम के हजारों फॉलोवरों ने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।
ज्ञात हो कि डॉ.बेलीराम कनस्वाल ग्राम- भेट्टी ,ग्यारह गांव, टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी हैं ,साहित्यिक क्षेत्र में हिंदी और गढ़वाली में हजारों काव्य रचनाएं करने वाले डॉ. बेलीराम को अब तक सैकड़ो पुरस्कारों एवं समान पत्रों से सम्मानित किया गया है।
फरवरी 2025 में अयोध्या में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में “काशी हिंदी विद्यापीठ” के द्वारा बेलीराम को डॉक्टरेट की मानद उपाधि “विद्या वाचस्पति सारस्वत सम्मान”से भी सम्मानित किया गया है।
