उपनल कर्मचारियों ने नियमितीकरण में देरी पर सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी

देहरादून। संवाददाता

उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर सरकार की उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए उत्तराखंड उपनल कर्मचारी महासंघ ने शनिवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता की। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने कहा कि वर्ष 2018 से लेकर अब तक कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्ष जारी है। हाईकोर्ट के आदेश और सुप्रीमकोर्ट द्वारा उसे बरकरार रखने के बावजूद कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया।

गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा ‘तीन साल बेमिसाल’ कार्यक्रम में नियमितीकरण नीति बनाने का ऐलान किया गया था। अप्रैल 2025 में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री का सम्मान समारोह भी आयोजित किया, तब भी नियमितीकरण का भरोसा मिला, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बार-बार विभागों से आंकड़े मंगवाकर केवल समय बर्बाद कर रही है, जबकि सैनिक कल्याण विभाग पहले ही पूरा डाटा उपलब्ध करा चुका है।
महासंघ ने चेतावनी दी है कि 15 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट के आदेश को एक साल पूरे होने पर देहरादून में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद 25 अक्टूबर से जिलों का दौरा कर आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। अगर 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस तक मांगें पूरी नहीं हुईं तो 10 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता एम.सी. पंत ने कहा कि सरकार हर साल नई कमेटियों का हवाला देकर नियमितीकरण प्रक्रिया को टाल रही है। कोर्ट का मामला अलग है, लेकिन कर्मचारी संविधान के तहत अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम हैं।
महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि न्यायालय और मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद कई विभागों में कर्मचारियों को हटाया जा रहा है या मानदेय नहीं दिया जा रहा। कुछ जगह उपनल कर्मियों को हटाकर निजी एजेंसियों से भर्ती की जा रही है, जो नीतिविरुद्ध है। हालांकि महासंघ की कोशिशों से अब तक करीब 700 कर्मचारियों की बहाली कराई गई है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप सिंह चौहान ने कहा कि उपनल कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से सरकारी विभागों में सेवा दे रहे हैं। सरकार उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। यही वजह है कि महासंघ ने चरणबद्ध आंदोलन और हड़ताल का ऐलान किया है।