पौड़ी बडखेत तल्ला रिखणीखाल निवासी नागेंद्र सिंह नेगी ने आजाद हिंद फोज में निभाई बड़ी भूमिका अब बंजर खेतों को आबाद कर कर रहें जैविक खेती: देखें वीडियो
लेखख: धीरेंद्र सिंह रावत, कुवैत खाड़ी देश
पौड़ी: उत्तराखंड में जितने भी पूर्व सैनिक हैं वह रिटायरमेंट के बाद चुप नहीं बैठते हैं बल्कि यह लोग कुछ ना कुछ सामाजिक सांस्कृतिक औद्योगिक या कृषि के क्षेत्र में कुछ ना कुछ कार्य करते हुए पाए जाएंगे एक ऐसे सैनिक के बारे में आज हर रैबार पहाड़ का न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से रुबरु करवाने जा रहे हैं जिन्होंने सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फोज में सुभाष चन्द्र बोस के सहकर्मी रहे और आज पूरा गांव उनको सम्मान से आजाद साहब के नाम से बुलाते हैं और ये नाम है धीरेन्द्र सिंह नेगी जो आज जैविक खेती करके बंजर खेतों को आबाद कर रहे हैं ये लेख रैबार पहाड़ का न्यूज़ पोर्टल को सात समुद्र पार कुवैत (खाड़ी) देश से सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता
सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता धीरेन्द्र सिंह रावत ने भेजा पढ़ें पूरा लेख….
महान प्रेरणा: जैविक खेती का पुनारम्भ
द्वारा: नागेंद्र सिंह नेगी
स्थान: ग्राम बड़खेत तल्ला, रिखणीखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
पूर्व सैनिक, क्षेत्रीय राजनेता, उत्कृठ सामाजिक/धार्मिक कार्यकर्ता, धार्मिक रंगकर्मी एवं एक बहुत ही बेहतरीन जिंदादिल इंसान आदरणीय नागेंद्र सिंह नेगी . अगर इस पूरे वाक्य को मुख़्तसर तौर पर कहू तो “रिखणीखाल ब्लॉक के लिए वरदान”.
नागेंद्र सिंह नेगी का बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
नेगी जी, रिखणीखाल ब्लॉक के बहुत ही सम्मानित एवं आर्थिक रूप से भी बृहद समृद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व. सोबन सिंह नेगी जी (आजाद साहब) के सुपुत्र हैं. स्व. सोबन सिंह नेगी जी को पूरे क्षेत्र में बड़े ही सम्मान से आजाद साहब के नाम से पुकारा जाता था. आजाद साहब, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी, आज़ाद हिन्द फ़ौज संस्थापक तथा सबसे बड़े नेता (नेताजी सुभाष चन्द्र बोस) के सहकर्मी रहे हैं और आजाद साहब हिंदुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए कई वर्षो तक अंग्रेजों की जेल में भी रहे. आज आजाद साहब के चारों पुत्र (श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी सहित) भारतीय सेना से सेवानिवृत हैं.
आदरणीय नागेंद्र सिंह नेगी का जन्म आजाद साहब जी के बहुत ही संपन्न घर में होने के कारण उनको बचपन से ही एक राजकुमार की तरह पाला गया. लाड-प्यार से पले होने के कारण नेगी जी ने क्षेत्र के बाकी बच्चों की तरह कभी भी खेती-बाड़ी आदि घरेलु कार्य कभी भी नहीं किये। बड़े-बड़े महानगरों में जब भी कोई नवीनतम वेश-भूषा, पहनावा, पोशाक या विलासिता की वस्तुएँ आती, तो उसी समय शान-शौकत की ये सब चीज़ें आजाद साहब द्वारा अपने सबसे कनिष्क पुत्र श्री नागेंद्र सिंह नेगी जी के लिए उपलब्ध करवा दी जाती थी. नेगी जी बहुत ही शौकीन मिजाज हैं, क्षेत्र में सबसे पहले कार नेगी जी के पास ही आई जिसे वे प्रायः नवीन मॉडल से बदलते रहते हैं.
धार्मिक और सामाजिक योगदान
पूर्व सैनिक नागेंद्र सिंह नेगी ने क्षेत्र में अनेकों धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार, संरक्षण एवं संवर्धन पर भी खूब काम किया हैं और समाज में ख्याति पाई. जिसका शौलीखांद का हनुमान मन्दिर और टाण्डा महादेव मंदिर आप सभी लोगो के सामने बहुत ही अच्छा उदाहरण हैं.
जैविक खेती का पुनारंभ
नागेंद्र सिंह नेगी जी ने अब अपने पैतृक ग्राम बड़खेत तल्ला (रिखणीखाल) में पिछले कई वर्षों से बंजर पड़े खेतों की झाड़ियाँ काटकर उन पर जैविक खेती का कार्य एक बहुत ही बड़े पैमाने पर प्रारम्भ कर दिया हैं. अपने गांव से एकांत कुछ दूरी पर (घल्ला कु श्यार – जुकणियाँ-शौलीखांद मुख्य मार्ग से मात्र 200 मीटर की दूरी पर) बंजर पड़े खेतों पर दो मंजिला इमारत खड़ा करने के बाद उसे सृष्टि प्रेमी पर्यटकों के लिए एक होम स्टे के रूप में रखा जायेगा। साथ में मत्स्य-ताल (Fish Pond) से पर्यटकों को ताज़ी मछली और जैविक सब्जियाँ परोसी जाएगी। आलू, गोभी, प्याज, लहसुन, टमाटर, भिंडी, हल्दी, अरबी (पिण्डलु) आदि अनेकों मौसमी सब्जियों का उत्पादन किया जायेगा.
नेगी जी की प्रेरणा और संदेश
भले ही नागेंद्र सिंह नेगी आर्थिक रूप से पहले ही संपन्न हैं, फिर भी वे अपने बंजर पड़े खेतों को आवाद करके अपने पित्रों द्वारा कड़ी मेहनत से बनाये गए खेतों को पुनः संरक्षित करना चाहते हैं और पूरे क्षेत्र में यह सन्देश भी देना चाहते हैं कि भले ही आप आर्थिक रूप से कितने ही संपन्न क्यों ना हो जाओ, लेकिन अपने पित्रों की भूमि को इस तरह से बंजर ना होने दो. नेगी जी का मानना हैं कि यह बहुत ही अतार्किक होगा कि अगर कोई कहे कि “मेरे पास बहुत पैसा हैं और मुझे अपने बंजर पड़े खेतों से कोई मतलब नहीं”. उनका कहना हैं कि “आप दिल्ली, मुंबई, देहरादून, कोटद्वार आदि कही भी क्यों न बस गए हो, लेकिन अपने बंजर पड़े पैतृक खेतो के बारे में भी कुछ तो सोचो.
यह उन युवाओं के लिए भी एक बहुत ही बड़ी प्रेरणा हैं, जो घर में दिन भर खाली रहते हैं, चौराहे पर बैठकर तास खेलते रहते हैं, बेरोजगारी से परेशान हैं और शराब पीकर अपने घर और समाज का माहौल दूषित करते रहते हैं. अगर नागेंद्र सिंह नेगी जैसा, जिसने कभी भी कठिन शारीरिक कार्य ना किया हो और आर्थिक रूप से भी पहले ही इतना संपन्न हो, फिर भी आज स्वयं खेत में तेज धूप, वारिश और ढंड में इतनी कड़ी मेहनत कर सकता हो, तो बाकी लोग क्यों नहीं कर सकते?
नागेंद्र सिंह नेगी जी मेरे करीबी मित्र भी हैं, इसलिए मुझे ब्यक्तिगत रूप से भी इस बात की बहुत बड़ी ख़ुशी हैं और मैं इस तरह के प्रेरणाश्रोत व्यक्तित्व को बारम्बार नमन करता हूँ. आप सभी पाठकों से भी मेरा अनुरोध हैं कि आप सभी लोग भी अपने बंजर पड़े खेतों के बारे में कुछ तो सोचे और इस विषय पर जितना भी आपसे बन पड़ता हैं, उस पर थोड़ा सा ही सही आज ही कुछ तो शुरुआत करें.
निष्कर्ष
नागेंद्र सिंह नेगी जी की यह पहल समाज के लिए प्रेरणादायक है, विशेषकर उन युवाओं के लिए जो बेरोजगारी और अन्य सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनका जीवन हमें यह संदेश देता है कि संपन्नता और आराम के बावजूद, मेहनत और सामाजिक उत्तरदायित्व को नहीं भूलना चाहिए।