पेपर लीक मामले में सरकार की कार्रवाई जारी,पेपर लीक परीक्षा केंद्र के सेक्टर मजिस्ट्रेट निलंबित हुए के एन तिवारी
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की बीते 21 सितंबर को हुई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड में पहली बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। आयोग की सिफारिश पर शासन ने हरिद्वार में परीक्षा के दौरान तैनात रहे एक सेक्टर मजिस्ट्रेट को सस्पेंड कर दिया है। वहीं, पेपर लीक मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दी गई है। इससे पूर्व इस मामले में मुख्य आरोपी मो. खालिद और उसकी बहन साबिया गिरफ्तार करके जेल भेजे जा चुके हैं।

परीक्षा के बाद से ही प्रदेश भर के युवाओं में व्याप्त है गुस्सा, बेरोजगार संघ का धरना-प्रदर्शन जारी

बीते रविवार को हुई भर्ती परीक्षा के दौरान हरिद्वार स्थित केंद्र से पेपर लीक हो जाने के बाद से प्रदेश भर में बवाल मचा हुआ है। राजधानी स्थित परेड मैदान के बाहर उत्तराखंड बेरोज़गार संघ के संस्थापक बॉबी पंवार, अध्यक्ष राम कंडवाल व उपाध्यक्ष सुरेश सिंह आदि के नेतृत्व में सैकड़ों युवा अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। संघ प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराए जाने की तत्काल संस्तुति करने, स्नातक स्तरीय परीक्षा को तत्काल निरस्त कर एक माह में पुनः आयोजित करने, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया से इस्तीफा लेने और आरक्षी भर्ती नियमावली को संशोधित करने की मांग कर रहा है।

हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में एसआईटी जांच के आदेश, एसपी ऋषिकेश करेंगी नेतृत्व
प्रदेश भर के युवाओं में व्याप्त आक्रोश को शांत करने के लिए सरकार ने पेपर लीक कांड की हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए अब तक इस मामले की जांच अधिकारी रही एसपी ऋषिकेश जया बलूनी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी में सीओ अंकित कंडारी, स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) देहरादून के इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह नेगी, रायपुर के धानाध्यक्ष गिरीश नेगी व साइबर पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर राजेश ध्यानी को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने प्रेस कांफ्रेंस में इस आशय की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और सुचिता के साथ ही अभ्यर्थियों का हित सर्वोपरी है। इसी क्रम में एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं। उक्त एसआईटी का कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश होगा। मुख्य सचिव ने कहा कि जांच निष्पक्ष ढंग से हो, इसके लिए एसआईटी जांच की निगरानी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे। सेवानिवृत्त जज और एसआईटी सभी जिलों में जाएंगे, इस दौरान कोई भी व्यक्ति उन तक परीक्षा से संबंधित तथ्य और सूचना दे सकता है। उन्होंने बताया कि जांच एक माह में पूरी कर ली जाएगी। तब तक के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से परीक्षा के संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि एसआईटी जांच में दोषी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो इसके लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही विवादों के केंद्र में स्थित हरिद्वार के परीक्षा केंद्र पर जिस भी व्यक्ति की लापरवाही सामने आती है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बहादरपुर जट के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज केंद्र सौंपा गया था निलंबित परियोजना अधिकारी केएन तिवारी को
मुख्य सचिव की घोषणा के अनुरूप शासन ने हरिद्वार के बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज में बनाए गए परीक्षा केंद्र के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किए गए जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (हरिद्वार) के परियोजना निदेशक केएन तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। पेपर लीक कांड के सामने आने के बाद यह पहली बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई है। सचिव दिलीप जावलकर की ओर से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट पर्यवेक्षण कार्य में लापरवाही बरतने और अपने दायित्वों के प्रति संवेदनशील न होने का दोषी बताया गया है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से सेक्टर मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई थी। निलंबन अवधि में तिवारी पौड़ी स्थित ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।