चुनाव आयोग को हाईकोर्ट का निर्देश: जिला उत्तरकाशी ग्राम पंचायत पनोथ के प्रधान पद के प्रत्याशी पर लटकी निरस्तीकरण की तलवार

 

 

चुनाव आयोग को हाईकोर्ट का निर्देश: जिला उत्तरकाशी ग्राम पंचायत पनोथ के प्रधान पद के प्रत्याशी पर लटकी निरस्तीकरण की तलवार

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मतदाता सूची में गड़बड़ी पर कड़ा रुख अपनाया, निर्वाचन आयोग को चार सप्ताह में निर्णय देने का आदेश 

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ग्राम पंचायत पनोथ, जिला उत्तरकाशी की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितता के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि 17 फरवरी 2025 को दाख़िल याचिकाकर्ता की आपत्ति पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए।

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न्यायमूर्ति रविन्द्र मैथानी की एकल पीठ ने यह आदेश मुख्य याचिकाकर्ता अधिवक्ता राजेश प्रताप व सह-याचिकाकर्ता अधिवक्ता योगेश कुमार पचोलिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

क्या है मामला?

याचिका में यह आरोप लगाया गया कि ग्राम पंचायत पनोथ की मतदाता सूची संख्या 167 में श्री अनिल कुमार पुत्र कुशला प्रसाद का नाम गलत तरीके से शामिल किया गया है, जबकि वह ग्राम पनोथ का स्थायी निवासी नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि:

• अनिल कुमार का नाम ग्राम पनोथ के परिवार रजिस्टर में दर्ज नहीं है।

• वह उत्तरकाशी जनपद के ही ग्राम पंचायत जुणगा का स्थायी निवासी है, जहाँ का परिवार रजिस्टर, जाति प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज उसके नाम से वैध रूप में मौजूद हैं।

• 17 फरवरी 2025 को फॉर्म संख्या 4 के माध्यम से विधिवत आपत्ति दाखिल की गई थी, जिस पर पाँच माह से अधिक बीत जाने के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।

 

लोकतंत्र की नींव से समझौता!

 

याचिकाकर्ता के अनुसार, अनिल कुमार ने पनोथ में झूठा स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर न केवल मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाया, बल्कि उसी आधार पर प्रधान पद हेतु प्रत्याशी के रूप में भी नामांकन करा लिया।

 

वकीलों की प्रतिक्रिया:

अधिवक्ता राजेश प्रताप (मुख्य याचिकाकर्ता) ने कहा:

“यह केवल एक व्यक्ति की आपत्ति नहीं है, यह पंचायत चुनाव की शुचिता और लोकतंत्र की गरिमा की लड़ाई है। यदि मतदाता सूची में ही मनमानी हो, तो निर्वाचन की पवित्रता समाप्त हो जाएगी।”

अधिवक्ता योगेश पचोलिया ने जोड़ा:

 

“जब जनता की विधिवत आपत्तियों को महीनों तक रोका जाए, तो यह निष्क्रियता नहीं, बल्कि प्रणालीगत लापरवाही है।”

 

निर्वाचन आयोग की ओर से जवाब:

 

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश स्टैंडिंग काउंसलर श्री सुयश पंत ने न्यायालय को अवगत कराया कि:

 

“निर्वाचन आयोग याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर नियमानुसार त्वरित कार्यवाही करेगा और यदि नामांकन में गड़बड़ी पाई गई, तो संदेहास्पद नामों को निरस्त किया जाएगा। यह प्रक्रिया चार सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी।”

 

न्यायालय  का आदेश और निष्कर्ष:

 

कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के उत्तर को रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिका का निस्तारण किया और स्पष्ट निर्देश दिया कि:

 

“निर्वाचन आयोग चार सप्ताह में निर्णय लेकर याचिकाकर्ताओं को विधिवत सूचना उपलब्ध कराए।”

 

स्थानीय राजनीति में भूचाल

 

यह आदेश उत्तरकाशी के ग्रामीण राजनीति में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। स्थानीय नागरिकों में जागरूकता बढ़ी है और चुनावी पारदर्शिता को लेकर नए सवाल उठ खड़े हुए हैं।

 

एक मिसाल बनता आदेश

 

यह आदेश न केवल ग्राम पनोथ के संदर्भ में, बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य में मतदाता सूची की पारदर्शिता और निर्वाचन प्रक्रिया की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक न्यायिक हस्तक्षेप माना जा रहा है।

 

यह निर्णय भावी पंचायत चुनावों में विधिक जवाबदेही, सत्यनिष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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