चार धाम यात्रा 2025 के पहले महीने में 2024 की तुलना में 12% की गिरावट दर्ज: एसडीसी फाउंडेशन

वर्ष 2025 की चार धाम यात्रा के पहले महीने में तीर्थयात्रियों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। देहरादून स्थित उत्तराखंड के पर्यावरण और क्लाइमेट के मुद्दों की डाटा बेस्ड एडवोकेसी पर काम करने वाली संस्था, एसडीसी फाउंडेशन के विश्लेषण के अनुसार, इस वर्ष यात्रा के पहले महीने में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब में कुल 17,17,619 श्रद्धालु पहुंचे। 2024 में इसी अवधि में 19,56,269 तीर्थयात्री पहुंचे थे। यह कुल 2,38,650 की गिरावट दर्शाता है, जो कि 12 प्रतिशत की कमी है।

धामवार विश्लेषण में यह गिरावट और स्पष्ट रूप से सामने आती है। केदारनाथ में इस वर्ष 6,49,161 तीर्थयात्री पहुंचे, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 7,48,348 थी, यानी 13 प्रतिशत की गिरावट। बद्रीनाथ में 2024 के 4,72,065 के मुकाबले इस वर्ष 4,57,409 यात्रियों ने दर्शन किए, जो कि 3 प्रतिशत की कमी है।

भौगोलिक जटिलताओं के कारण अक्सर बाधाओं का सामना करने वाले यमुनोत्री में इस वर्ष 3,02,713 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि 2024 में यह संख्या 3,46,545 थी यानि 11 प्रतिशत की गिरावट। वहीं गंगोत्री में सबसे तेज गिरावट दर्ज हुई है — 2025 में 2,93,228 तीर्थयात्री पहुंचे, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 3,39,892 था, जो कि 14 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि यह गिरावट किसी एक कारण की वजह से नहीं है। यह कई कारकों का सम्मिलित परिणाम है, जिनमें भारत-पाक तनाव, यात्रा के शुरुआती दिनों में खराब मौसम, और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जटिलताएं शामिल हैं।
एसडीसी फाउंडेशन पिछले कई वर्षों से चार धाम यात्रा पर करीबी नजर रखता आया है और आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत करता रहा है। वर्ष 2024 में फाउंडेशन ने ‘उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2024: पाथवे टू पिलग्रिमेज – डेटा इनसाइट्स, चैलेंजेस एंड ऑपर्च्युनिटीज’ नामक एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव को भी सौंपा गया था।
इस रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन, पारिस्थितिकीय संतुलन, स्वास्थ्य ढांचे, हितधारकों से परामर्श और श्रद्धालुओं की प्रतिदिन की संख्या पर धामवार सीमा तय करने जैसी सिफारिशें की गई थीं, जिससे यात्रा सुरक्षित और सतत बन सके। इसके अलावा इसमें यह भी सुझाया गया था कि रजिस्ट्रेशन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया जाए, क्योंकि यह अक्सर श्रद्धालुओं और ट्रैवल एजेंसियों द्वारा अव्यवस्थित और जटिल मानी जाती है।
अनूप नौटियाल ने कहा कि राज्य सरकार जहां एक ओर चार धाम यात्रा को एक प्रमुख धार्मिक आयोजन के रूप में आगे बढ़ा रही है, वहीं यह भी जरूरी है कि हम स्थायी तीर्थाटन व्यवस्था की दिशा में गंभीरता से काम करें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि एसडीसी फाउंडेशन ने हमेशा डेटा, प्रवृत्तियों और अनुभवों के आधार पर राज्य को रचनात्मक सुझाव दिए हैं।
फाउंडेशन ने यह भी अपील की है कि राज्य सरकार अगले वर्ष की यात्रा की तैयारी कपाट बंद होने के तुरंत बाद, यानी अक्टूबर या नवंबर से ही शुरू कर दे। अंतिम महीनों तक इंतजार करने से जरूरी निर्णयों में देरी होती है। यदि उत्तराखंड सरकार वास्तव में चार धाम यात्रा 2026 को अधिक सुरक्षित, व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाना चाहता है, तो इसकी शुरुआत अभी से करनी होगी।