बड़ी खबर:पिछले 24 सालों में उत्तराखंड की डेमोग्राफी में 16 फ़ीसदी हुई मुस्लिम आबादी पहाड़ी एकता मोर्चा

पिछले 24 सालों में उत्तराखंड की डेमोग्राफी में 16 फ़ीसदी हुई मुस्लिम आबादी पहाड़ी एकता मोर्चा

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उत्तराखंड में बढती मुस्लिम आबादी एक चिंता का विषय है ! और आम पहाड़ी को सोचने पर मजबूत कर रही है क्योंकि लगातार उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी जिलों में अवैध रूप से मस्जिद और मजारों का निर्माण हो रहा है जिससे कि राज्य की संस्कृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है क्योंकि लगातार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश व बाहरी राज्य असम बिहार झारखंड के मुसलमान यहां आकर बसावत कर रहे है और धीरे-धीरे यहां के राशन कार्ड पहचान पत्र आधार कार्ड,वोटर कार्ड बनाकर धीरे-धीरे मैदानी जिलों सै पहाड़ी जिलों पर भी अपना रूख कर रहे हैं और वहा की गतिविधियों पर लगातार नजर रखकर धीरे-धीरे पहाड़ जिलों की तरफ अपना कारोबार रहे हैं सब्जी , कबाडी की दुकान व गांव-गांव मे जाकर फेरीवाला बनकर, मांस मछली की दुकान, लेबर मिस्त्री बनकर बस रहे है।

 

इं. डीपीएस रावत ने कहा कि पहाड़ों में किराए पर रहकर और कुछ समय बाद वहां के वातावरण में रहकर लोकल लोगों को लालच देकर जमीन खरीद रहे हैं और उस जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद और मजार का निर्माण कर रहे हैं।
आये दिन पहाड़ों व मैदानी जिलों मे लब जिहाद के मामलों मे भी बहुत वृद्धि हो रही है जिसका नतीजा सिर्फ पहाड़ों और मैदानी एरिया में बाहरी लोगो का बसना।

आज मैदानी क्षेत्र के चार जिलों में जबरदस्त मुस्लिम आबादी बढ़ी है हरिद्वार की आबादी सबसे ज्यादा बढ़ी है कुल आबादी का 34 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी बढ़ी है उधम सिंह नगर जिले में 32 फ़ीसदी, नैनीताल देहरादून में 30 फ़ीसदी मुस्लिम अवधि बढ़ी है पहाड़ी जिलों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा पौड़ी,बागेश्वर में चंपावत अल्मोडा मे मुस्लिम आबादी बढ़ी है।

वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी तब मुस्लिम आबादी 1.5 फ़ीसदी के आसपास थी जो आज बढ़कर 24 सालों में 16 फ़ीसदी के आसपास पहुंच चुकी है वर्ष 2001 में पहाड़ी जिलों में मुस्लिम आबादी अनुमानित 1.5 फ़ीसदी थी जो आज बढ़कर 2 से 3 फ़ीसदी
हो चुकी है।
उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल की बात की जाए तो 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला तब यहां की मुस्लिम आबादी 2 प्रतिशत
थी जो कि अभी अनुमानित 2.1 की आसपास है क्योंकि हिमाचल में सख्त भू कानून हैं और यहा जमीन केवल लीज और रेंट पर दी जाती है एग्रीकल्चर जमीन पर सरकार का सख्त भू कानून लागू है जो कि बाहरी राज्यों के लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए यहां पर मुस्लिम आबादी में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ। जबकि हिमाचल और उत्तराखंड का सही आकलन किया जाए तो उत्तराखंड में सख्त भू कानून नहीं होने के कारण यहां पर मुस्लिम बाहरी राज्यों से आकर धीरे-धीरे पांव पसार रहे हैं जबकि हर 10 साल में 2 फ़ीसदी
की मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर्ज हो रही है, भारी राज्यों से आए मुस्लिम लोग यहां पर कुछ समय के लिए किराए पर रहते हैं और धीरे-धीरे यहां के सरकारी तंत्र के साथ मिलकर स्थाई निवासी हो जाते हैं क्योंकि उत्तराखंड में हिमाचल के तरह कोई शक्त कानून का राज नहीं है, उत्तराखंड राज्य में प्रशासन की राजस्व विभाग की भ्रष्ट नीतियो की प्रणाली के वजह से यहां पर भारी राज्यों की मुस्लिम पांव पसार रहे हैं यहां पर ज़मीनों का फर्जीवाड़ा बहुत जोर सोर से बढ़ रहा है। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से आए मुसलमान के साथ बड़ी संख्या में बांग्लादेश और म्यांमार से आए रोहिंग्या (मुस्लिम) भी बस रहे हैं जिनको कि यहां की लोकल मुस्लिम परिवार पनाह दे रहे हैं और राज्य में बसाने का मौका दे रहे हैं।
पहाड़ी जिला उत्तरकाशी पौड़ी टिहरी अल्मोड़ा चंपावत पिथौरागढ़ के जिलों में मुसलमानों की जनसंख्या में भी काफी वृद्धि हुई है है जिसके कारण शांत पहाड़ों में आज तीन टाइम की नमाज पढ़ी जा रही है जिससे कि पहाड़ों में काफी ध्वनि प्रदूषण हो रहा है अगर सरकार ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो आने वाले कुछ सालों में यहां की भौगोलिक स्थिति बहुत ही गंभीर हो सकती है जिसके परिणाम काफी निराशाजनक हो सकते हैं क्योंकि पहाड़ी जिले शांत है यहां की संस्कृति में अगर छेड़छाड़ होती है तो उसके प्रणाम भी काफी भयानक हो सकते हैं।

इं. डीपीएस रावत ने कहा कि अगर आज कौशिक समिति के आधार पर पहाड़ी जिलों के हिसाब से उत्तराखंड राज्य बनाता तो आज यह भयानक स्थिति पैदा नहीं होती क्योंकि पहाड़ी जिले देहरादून टिहरी उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग चमोली अल्मोड़ा पिथौरागढ़ चंपावत नैनीताल बागेश्वर जिलों के हिसाब से उत्तराखंड का राज्य बन रहा था जिसमें कि राष्ट्रीय बीजेपी और कांग्रेस ने इसका विरोध किया उसके कारण मजबूरन उत्तराखंड में हरिद्वार और उधम सिंह नगर को मिलाना पड़ा क्योंकि केन्द्र में बीजेपी और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी
आने वाले काफी सालो मे कही जम्मू कश्मीर के तरह हालात पैदा ना हो जाय होंगे आम पहाड़ियों को अपना सब कुछ गवा कर शहरो की तरफ रुख करना पड़े तब क्या करेगी आपकी एकता!

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